विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसारदुनिया में सौ करोड़ से अधिक लोग मोटापे से ग्रसित हैं। पिछले तीस सालों से दुनिया भर में मोटापा लगभग चार गुणा तेजी से बढ़ा है। वहीं भारत में बीएमआई (BMI); BODY MASS INDEX के अनुसार 23 फीसदी महिलाएं मोटापे की शिकार हैं। मोटापा बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, हार्मोन्स का असंतुलन या मेटाबॉलिज्म का धीमा होना या फिर यह समस्या माता– पिता के द्वारा मिली विरासत में डीएनए से भी उत्पन्न हो सकती है।
मोटापे का कारण।
कई लोग उम्र का बढ़ना भी मोटापे का कारण बताते हैं। आइए इसके तमाम कारणों को जानते हैं और इसके क्या-क्या परिणाम और समाधान हो सकते हैं इसको भी जानने का प्रयास करेंगे।
मोटापा का बढ़ना, हार्मोन्स है बड़ी वजह।
थायरॉयड, एस्ट्रोजन, कार्टिसोल, इंसुलिन सरीखे का असंतुलन हमारे वजन के संतुलन को बिगाड़ सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो थायरॉयड वजन बढ़ने का आम कारण है। कमजोरी महसूस होना, ज्यादा ठण्ड लगना, पीरियड की समस्या, कब्ज की समस्या, अवसाद का होना, पैरों में सूजन या फिर आवाज में बदलाव जैसे लक्षण को नजरअंदाज न कर ठीक समय पर इलाज करवाना चाहिए।
एस्ट्रोजन – खास कर के पीरियड में आने वाली समस्या को अनदेखा नहीं करना चाहिए। कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स में एस्ट्रोजन होता है, इसलिए गर्भनिरोधक दवाईयां लेने वाली महिला के शरीर में हार्मोन्स की मात्रा बढ़ने लगती है। इससे खासतौर पर शरीर के निचले हिस्से में चर्बी बढ़ने लगती है। प्री-मेनोपॉज की स्थिति में भी वजन बढ़ने की संभावना होती है। जीवन शैली में बदलाव व दवाईयों से इस पर काबू पाया जा सकता है। हार्मोन्स का काम ऊर्जा के स्तर को संतुलित रखना औऱ मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखना है। खानपान और जीवन शैली की गलत आदतों के वजह से कॉर्टिसोल ज्यादा बनने लगता है। ज्यादा मीठा व अस्वस्थ खानपान इंसुलिन कोशिकाओं में शुगर को सही तरीके से नहीं पहुंचने देता है, यही शुगर चर्बी बनकर इकट्ठा होने लगता है।
धीमा मेटाबॉलिज्म से भी बढ़ता है मोटापा
मेटाबॉलिज्म का आशय कैलोरी बर्न में लगने वाली उर्जा से है। आप आहार के माध्यम से जितनी कैलोरी लेते हैं उतनी ही बर्न भी हो रही है तो आपका वजन संतुलन में रहेगा। थायरॉयड हार्मोन्स का पर्याप्त मात्रा में स्राव नहीं होने से मेटाबॉलिज्म धीमा होने लगता है। महिलाओं का मेटाबॉलिज्म ज्यादातर धीमा होता है यही कारण है कि महिला को पुरुषों के अपेक्षा वजन कम करने में थोड़ी ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है। मेनोपॉज का समय आते-आते यह औऱ भी धीमा हो जाता है।
तनाव भी बढ़ाते हैं मोटापा।
अक्सर लोग कहते फिरते हैं कि तनाव से वजन कम होता है, पर ऐसा होता नहीं है। तनाव के दौरान शरीर में कार्टिसोल सहित कई हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है। तनाव के वजह से शरीर में एड्रेनालाईन ह्रामोन्स का स्राव होने लग जाता है, जिससे ज्यादा कैलोरी औऱ कम पोषण वाली चीज खाने का मन करने लगता है। लगातार तनाव रहने से विसरल फैट बढ़ने लगता है जिससे पेट के आसपास के अंगों पर वसा जमने लगता है। य़ही वसा, ह्रदय रोग, टाइप 2 डाइबिटीज सहित तमाम बीमारी के खतरे को बढ़ा देती है। कुछ लोग तो तनाव में ज्यादा खाने लगते हैं, जिसके कारण भी वजन बढ़ना शुरू हो जाता है।
उम्र के बढ़ने के साथ-साथ भी वजन बढ़ता है।
अपने जीवन काल के दौरान महिलाएं ढेरों बदलाव से गुजरती हैं, जिसकी शुरुआत किशोरावस्था से ही हो जाती है। इस दौरान पीरियड के लिए तैयार होते शरीर में फैट इकट्ठा होने लग जाता है। प्राकृतिक तौर पर इस दौरान कूल्हों व जांघों के आसपास फैट बढ़ने लगता है। दूसरा दौर आता है गर्भावस्था का इसमें भी वजन का बढ़ना आम बात है। फिर बच्चे के जन्म के बाद नींद में कमीं हार्मोन्स का बदलाव। बढ़ती उम्र के साथ मेनोपॉज भी वजन बढ़ने का कारण बनता है। बढ़ती उम्र में मांसपेशियां भी कमजोर होती हैं, जिसका सीधा असर मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है।
मेनोपॉज क्या है?
विश्व में प्रत्येक साल 18 अक्टूबर को वर्ल्ड मेनोपॉज डे मनाया जाता है जिसका मुख्य मकसद होता है महिलाओँ को मेनोपॉज के दौरान होने वाली समस्याओं के प्रति जागरुक करना। लगभग 40 साल के दौरान महिला मेनोपॉज में प्रवेश करती है, इस दौरान उन्हें निम्न अनुभव होते हैं।
–सिर दर्द होना
–ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल
–रात में पसीना आना औऱ हार्ट फ्लैशेस होना
–जोड़ो या मांसपेशियों में दर्द
–पीरियड्स के अवधि का कम या अनियमित होना
–सेक्स ड्राइव में कमी आना
–थकावट व सुस्ती आना
–सूजन
–मेटाबॉलिज्म का सही से काम न करना
–वजन का बढ़ना
मोटापा बढ़ने में जीन्स की भूमिका अहम।
शोध कहता है कि मोटापा परिवार के सदस्यों से विरासत में मिलता है, तो आपको सबसे पहले देखना चाहिए कि आपके परिवार में मोटापे से कौन ग्रसित हैं। अगर आपके माता-पिता मोटे हैं तो आपका भी मोटापा बढ़ने की आशंका है। हमारा शरीर खाने को कैसे पचाता है, वसा को कैसे इकट्ठा करता है ये सब काफी हद तक हमारे जीन्स के द्वारा निर्धारित होता है। हमारी शारीरिक गतिविधियाँ, खाने-पीने की आदतें भी इससे काफी प्रभावित होते हैं।
मोटापे से छुटकारा।
मोटापा की समस्या के क्या हैं समाधान, आईए जानते हैं।
- ज्यादा देर तक भूखा रहने से भी मोटापा बढ़ता है। ज्यादा देर तक भूखे रहने से न्यूरो पेप्टाइड वाई हार्मोन्स रिलीज होता है जिससे भूख बढ़ती है और हम जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं। इसलिए कुछ घंटों के अंतराल पर नियमित खानपान करते रहना चाहिए।
- जीएलपी-5 पेट भरने के संकेत देने वाला हार्मोन्स हैं। इसमें कमी न आए इसके लिए प्रोटीन का सेवन करते रहना चाहिए। लेप्टिन और पेप्टाइड वाई हार्मोन पेट भरने के संकेत देते हैं इसे संतुलन में बनाए रखने के लिए नियमित रुप से व्यायाम करते रहना चाहिए।
- घ्रेलिन एक छोटी आंत से निकलने वाला एक हार्मोन है जो भूख को बढ़ाता है। इसको काबू में रखने के लिए काफी देर तक भूखे रहने से बचना चाहिए। साथ ही अपने खानपान में फाइबर युक्त सब्जियां, फल के साथ प्रोटीन और अच्छे फैटयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते रहना चाहिए।
उपरोक्त लेख में महिलाओं के बढ़तेवजन, मोटापे का कारण व समाधान के बारे में विस्तार रुप से जानकारी दी गई है। इससे संबंधित कोई सवाल अगर मन में हो तो कमेंट कर के जरुर पूछें।